बिहार में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. गंडक नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. ऐसे में लोगों के लिए राहत-बचाव कार्यों की जरूरतों के बीच नीतीश सरकार को एक बार फिर अतिरिक्त संसाधन की आवश्यकता है. ऐसे में सरकार उन इंजीनियरों और अधिकारियों से निपटने की तैयारी कर रही है, जो पिछले साल का हिसाब-किताब अभी तक नहीं दे पायी है. इन लोगों को करोड़ों रुपये की राशि बाढ़ के दौरान राहत व बचाव कार्य के लिए दिया गया था. सरकार का पैसा दबाने का आरोप जल संसाधन विभाग के 10 इंजीनियरों पर है, जो कि 300 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे रहे हैं.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ प्रबंधन कार्यों के लिए यह राशि अग्रिम में ली गई, जिसका रोकड़-बही में मिलान नहीं हो रहा है. कई बार आग्रह करने के बाद कार्यपालक अभियंता ने इन सभी इंजीनियरों को उपरोक्त राशि बिना किसी देर के जमा कराने की चेतावनी दी है. बता दें कि जिन इंजीनियरों से हिसाब-किताब लेना है. उनमें 6 सहायक अभियंता (असिस्टेंट इंजीनियर) और चार कनीय अभियंता (जूनियर इंजीनियर) हैं. उनसे सरकार को 299 करोड़ 49 लाख 53 हजार के रोकड़ का मिलान चाहिए. अगर रोकड़-बही का मिलान नहीं हो पाता है तो वह बकाया राशि वापस चाहिए.
जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश राशि कनीय अभियंता दबाए बैठे हुए हैं. उनमें सकलदेव सिंह नाम के जूनियर अभियंता अकेले ही करीब 142 करोड़ का हिसाब नहीं दिए हैं. पुनपुन नदी के परिक्षेत्र में बाढ़ से राहत-बचाव कार्य के लिए यह राशि पिछले साल दी गई थी. अभियंताओं ने इसकी अग्रिम निकासी की थी. वे तब पुनपुर बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल, करबिगहिया (पटना) एवं वर्तमान में बाढ़ नियंत्रण व जल निस्सरण प्रमंडल, एकंगसराय (नालंदा) में तैनात थे. नियम के मुताबिक उन्हें कार्य से संबंधित रोकड़-बही का मिलान करते हुए बकाया राशि संबंधित कोषागार, बैंक खाता या ऑफिस में जमा कराना होता है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि उन अभियंताओं ने अबतक रोकड़-बही का मिलान नहीं कराया है.
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