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चंद्रा टाइम्स

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जीवित करने बुलाया महिला तांत्रिक को बुलाया सदर अस्पताल




सहरसा के बनमा ईटहरी अंचल क्षेत्र में एक महिला की सर्पदंश से मौत हो गई। बारिश के मौसम के शुरुआत के साथ, सरकार और स्वास्थ्य विभाग सर्पदंश से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग सांप के काटने पर तुरंत अस्पताल जाने की सलाह देता है और इसके लिए जरूरी दवाओं की जानकारी भी प्रदान करता है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास और दकियानुसी सोच के कारण लोग आज भी ओझा और तांत्रिकों की शरण में जाते हैं, जिससे समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता।

रविवार को हथमंडल डीह गांव की 32 वर्षीय खुशबू देवी रात को अपने बच्चों के साथ सो रही थी, तभी एक विषैले सांप ने उसे दंश कर दिया। सुबह जब खुशबू ने दर्द की शिकायत की, तो परिजनों ने उसे अनुमंडल अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर ले गए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे सदर अस्पताल भेजने की सलाह दी गई। हालांकि, रास्ते में ही खुशबू की मौत हो गई।

सदर अस्पताल पहुंचने के बाद, परिजनों ने खुशबू को जीवित करने के लिए एक महिला तांत्रिक को बुलाया। तांत्रिक के झाड़-फूंक से इलाज के दौरान अस्पताल परिसर में भीड़ जमा हो गई, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। महिला तांत्रिक की उपस्थिति के चलते सही इलाज में देरी हो गई, जिससे खुशबू की जान नहीं बचाई जा सकी। खुशबू देवी के पीछे 10 साल का विज्ञानशू कुमार, 8 साल की सृष्टि कुमारी, 5 साल की कल्याणी कुमारी, और 2 साल का मुनीस कुमार छोड़ गई है।

यह घटना अंधविश्वास और दकियानुसी सोच के खतरनाक प्रभावों को दर्शाती है, जो समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में बाधा डालती है।


 

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