सहरसा शहर के कॉलेज गेट पर स्थित पूर्वांचल सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में वैष्णवी दुर्गा की पूजा होती है। इस मंदिर की स्थापना और पूजा की परंपरा वर्ष 1972 से शुरू हुई। स्थानीय लोगों के अनुसार, शुरूआत में इस मंदिर में दुर्गा पूजा की परंपरा टीन के घर में शुरू की गई थी। प्रारंभ में, यह पूजा सहरसा कॉलेज के परिसर में पोस्टऑफिस के बगल में की जाती थी। यहाँ पर दो-तीन साल तक पूजा की जाती रही, लेकिन धीरे-धीरे पूजा का क्षेत्र बढ़ता गया और पूजा पंडाल सड़क किनारे बनने लगा।
पूजा की शुरुआत गणेशलाल कर्ण, शंहेश्वर प्रसाद साह, हरिनंदन साह, बैद्यनाथ साह, अशोक भगत, और कमल चौधरी के सहयोग से की गई थी। पहले यहाँ मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती थी।
करीब 20 वर्षों के बाद, मंदिर भवन का निर्माण शुरू हुआ और आठ वर्षों के अंतराल के बाद, मंदिर एक भव्य रूप ले लिया। 1998 में, आईएएस अधिकारी मनोज कुमार (IAS Manoj Kumar) के सहयोग से जयपुर से मां दुर्गा की प्रतिमा मंगाकर स्थापित की गई। यह प्रतिमा मंदिर की प्रमुख आकर्षण बन गई और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। वर्तमान में, यह मंदिर लोगों के लिए एक आस्था का केंद्र बन चुका है और स्थानीय समुदाय के धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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