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Saharsa :एलएंडटी फाइनेंस ने बिहार में 'डिजिटल सखी' परियोजना की शुरुआत की


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देश की अग्रणी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में से एक, एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड (एलटीएफ), ने बिहार के सुपौल जिले में अपनी फ्लैगशिप कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) परियोजना ‘डिजिटल सखी’ की शुरुआत की घोषणा की है। इस परियोजना की शुरुआत एलटीएफ के डिजिटल और वित्तीय समावेशन वर्टिकल के अंतर्गत की गई है, जिसका उद्देश्य डिजिटल वित्तीय साक्षरता (डीएफएल) के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है।

‘डिजिटल सखी’ परियोजना का मुख्य मकसद ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रदान करना है ताकि वे अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव ला सकें और स्थायी आजीविका उत्पन्न कर सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से, एलटीएफ ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन, उद्यमशीलता और सतत विकास को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। यह परियोजना सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 5, लैंगिंक समानता पर केंद्रित है।

एलटीएफ की कंपनी सचिव एवं चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, अपूर्वा राठोड़ ने इस परियोजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “डिजिटल सखी का उद्देश्य डिजिटल खाई को पाटना और विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है। हम बिहार के सुपौल जिले में इस परियोजना की शुरुआत कर चुके हैं, और इस वर्ष के वित्तीय वर्ष 2023-24 में 100 डिजिटल सखियों को प्रशिक्षित किया गया है जिन्होंने 600 महिला उद्यमियों को तैयार किया। इस परियोजना के जरिए 100 गांवों में 1.25 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला है।”

सुपौल जिले में इस परियोजना की सफलता के बाद, एलटीएफ ने इसे सहरसा जिले में भी शुरू करने का निर्णय लिया है। परियोजना के तहत, 100 नई महिलाओं को डिजिटल सखी के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा, और 2028 के अंत तक यह परियोजना चार सौ गांवों में विस्तार कर पांच लाख से अधिक लोगों को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखती है।

इन डिजिटल सखियों का काम केवल समुदायों को डिजिटल वित्तीय समावेशन और सरकारी पहलों के लाभों के बारे में शिक्षित करना नहीं है, बल्कि वे कम-से-कम 1,000 ग्रामीण महिला उद्यमियों की पहचान कर उन्हें अपने व्यवसायों को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए भी सशक्त बनाएंगी। यह परियोजना बिहार में एलटीएफ की मौजूदा एजेंसी, बीएआईएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, द्वारा संचालित की जाएगी।

एलटीएफ ने इस परियोजना की शुरुआत 2017 में की थी, और तब से लेकर अब तक 1,770 से अधिक महिलाओं को डिजिटल सखी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इन डिजिटल सखियों ने 45 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया है और 14,000 से अधिक महिला उद्यमियों को कौशल प्रदान कर सशक्त बनाया है। हाल ही में, इस परियोजना को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भी विस्तारित किया गया है, और इसके साथ ही यह कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी सक्रिय रूप से चल रही है।

‘डिजिटल सखी’ परियोजना न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है

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