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चंद्रा टाइम्स

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महिषी: गंडौल चौक पर अतिक्रमण हटाने का अभियान, 200 से अधिक दुकानदार हुए बेरोजगार



महिषी प्रखंड के बघवा पंचायत स्थित गंडौल चौक पर शुक्रवार की दोपहर प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में रोड नंबर 17 और पश्चिमी कोसी बांध से अतिक्रमण हटाने के लिए जेसीबी बुलडोजर चलाया गया। इस अभियान से सरकारी जमीन पर अवैध रूप से संचालित दुकानें हटा दी गईं, जिससे वहां काम कर रहे लगभग 200 दुकानदारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया और नोटिस

सूत्रों के अनुसार, चौक पर पहले से अंचल प्रशासन द्वारा दुकानदारों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया गया था। बावजूद इसके, कई दुकानदारों ने अपनी दुकानें नहीं हटाईं। उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सीओ अनिल कुमार ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से चल रही दुकानों को खाली कराने का आदेश दिया। हालांकि, कुछ दुकानदारों ने नोटिस मिलने के बाद अपनी दुकानें खाली कर दी थीं, लेकिन कुछ ने कार्रवाई के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया।

प्रशासन की कार्रवाई

शुक्रवार को दोपहर 1:30 बजे से शुरू हुए इस अभियान में सीओ अनिल कुमार के साथ जलई ओपी के अधिकारी एसआई अमित कुमार और पीएसआई राजकमल ने पुलिस बल के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया। प्रशासन ने जेसीबी की मदद से सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई दुकानें गिरा दीं। यह अभियान शाम तक चला, जिसके बाद चौक को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया।

बेरोजगार हुए दुकानदार

इस कार्रवाई के बाद चौक पर अपनी दुकानें चलाने वाले करीब 200 से अधिक दुकानदार बेरोजगार हो गए हैं। इन दुकानदारों का कहना है कि उनका जीवन-यापन अब संकट में पड़ गया है। वे यहां लंबे समय से कारोबार कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे, लेकिन अब उनके पास कोई और साधन नहीं बचा है। दुकानों के हटने से इन लोगों के सामने जीविकोपार्जन का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

प्रशासन की ओर से कार्रवाई का समर्थन

प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए की गई है, जो कानूनन सही है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को निष्पक्षता से अंजाम दिया गया है, और दुकानदारों को पहले ही नोटिस दिया गया था ताकि वे अपनी दुकानें हटा सकें।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

हालांकि, स्थानीय लोग और प्रभावित दुकानदार प्रशासन की इस कार्रवाई से नाखुश हैं। उनका कहना है कि अचानक से रोजगार छिन जाने के बाद अब उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन उनकी समस्या का कोई वैकल्पिक समाधान निकालेगा, ताकि उनका जीवन यापन फिर से पटरी पर आ सके।


 

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