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चंद्रा टाइम्स

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Durga Mandir, Kachahri Halt Saharsa में तीन दशक से होती है माता की पूजा

सहरसा कचहरी रेलवे हॉल्ट स्थित दुर्गा मंदिर: आस्था और भव्यता का केंद्र




सहरसा: नगर निगम क्षेत्र के कचहरी रेलवे हॉल्ट पर स्थित दुर्गा मंदिर, स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र बन चुका है। 90 के दशक में शुरू हुई इस धार्मिक यात्रा की कहानी आज भी भक्तों को प्रेरित करती है। मंदिर की शुरुआत एक छोटी झोपड़ी से हुई, जहां मां दुर्गा की एक साधारण तस्वीर की पूजा की जाती थी। समय के साथ-साथ लोगों की आस्था में वृद्धि हुई और भक्तों की संख्या बढ़ने लगी।

भव्य मंदिर का निर्माण

स्थानीय लोगों के सहयोग से इस साधारण पूजा स्थल को एक भव्य मंदिर में तब्दील किया गया। प्रारंभ में यहां मिट्टी की मूर्ति स्थापित की जाती थी, लेकिन 2008 में श्रद्धालुओं की मदद से संगमरमर की एक प्रतिमा स्थापित की गई। इस परिवर्तन के पीछे दयानंद सिंह मोती, नरसिंह मंडल, ललन कुमार देव, राम प्रसाद साह और स्व. महावीर गुप्ता तथा स्व. पांचू यादव जैसे श्रद्धालुओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

अब, मंदिर में नियमित रूप से सुबह और शाम को शक्ति रूप मां दुर्गा की आराधना की जाती है। मंदिर के पूजारी भक्तों को विधि-विधान के साथ पूजा कराने में पूरी तत्परता से जुटे रहते हैं।

नवरात्रि का मेला

हर साल शारदीय नवरात्रा के दौरान, यहां चार दिनों का मेला लगता है। इस मेले के दौरान भक्तों की भीड़ इकट्ठा होती है, जिससे न केवल धार्मिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होती है, बल्कि स्थानीय बाजारों को भी संजीवनी मिलती है। मेले की तैयारियों में पंडाल का निर्माण, दुकानों की स्थापना और सजावट की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि इस साल का मेला पहले से भी ज्यादा भव्य होने जा रहा है।

स्थानीय लोगों की आस्था

पहले के समय में, इस मुहल्ले के लोग मां दुर्गा की पूजा के लिए पंचवटी या थाना चौक जाने के लिए मजबूर होते थे। लेकिन कचहरी में दुर्गा पूजा की शुरूआत के बाद, सहरसा कचहरी, कोसी कोलोनी, शिवपुरी, गौतमनगर और आसपास के क्षेत्रों के लोग अब यहां रोजाना पूजा-अर्चना करने आते हैं।

कुमार हीरा प्रभाकर, एक स्थानीय श्रद्धालु, कहते हैं, "मैया सभी की मनोकामना पूर्ण करती है।" यह विश्वास ही है जो भक्तों को लगातार इस मंदिर की ओर खींचता है।

कमिटी का गठन

मंदिर के संचालन और मेले की व्यवस्था के लिए एक समिति का गठन किया गया है। दयानंद सिंह मोती को समिति का संयोजक और मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह को सह संयोजक बनाया गया है। इसके अलावा, अध्यक्ष के रूप में मदन कुमार सिंह बाबुल, उपाध्यक्ष सह सरकारी कार्य, मीडिया प्रभारी के रूप में कुमार हीरा प्रभाकर, और अन्य पदाधिकारियों को भी नामित किया गया है।

समिति के सदस्यों के प्रयासों से मंदिर की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर भक्त को यहां आने पर एक अद्भुत अनुभव मिले।


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