पटना ब्यूरो। पूर्वी चंपारण के कैथवलिया में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के रूप में उभरने वाला है। यह मंदिर न केवल अपने आकार में विशाल होगा, बल्कि इसकी दीवारों पर रामायण के प्रसंग उकेरे जाएंगे, जिससे यह और अधिक भव्य और राममय दिखाई देगा। इस विशाल मंदिर के निर्माण का जिम्मा गुजरात की त्रिवेदी कार्प कंपनी को सौंपा गया है। यह कंपनी 1930 से भारत, अमेरिका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड समेत कई देशों में दर्जनों मंदिरों का निर्माण और डिज़ाइन कर चुकी है।
दक्षिण भारतीय वास्तुशैली में होगा निर्माण
त्रिवेदी कार्प के सीएमडी किरण भाई त्रिवेदी ने सोमवार को पटना के महावीर वात्सल्य में आयोजित एक प्रेसवार्ता में बताया कि मंदिर की दीवारों और कलाकृतियों के निर्माण में चुनार के बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जाएगा। इस पत्थर की विशेषता यह है कि इसमें काई नहीं लगती और मौसम का प्रभाव भी इस पर नहीं पड़ता। मंदिर के निर्माण में दक्षिण भारत की द्रविड़ वास्तुशैली का पालन किया जाएगा, जिससे मंदिर की भव्यता और भी बढ़ जाएगी।
मंदिर की संरचना और निर्माण प्रक्रिया
मंदिर की ऊपरी संरचना का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसमें 32 सौ पाइङ्क्षलग का कार्य बीते मार्च में पूरा हुआ। मंदिर चार तल का होगा और तीसरे चरण में इसके अन्य कार्य भी पूरे किए जाएंगे। निर्माण समिति के अनुसार, उच्च गुणवत्ता के मार्बल और ग्रेनाइट का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह मंदिर सौंदर्य और संरचना में अद्वितीय होगा। मंदिर में भगवान राम की छवियों को पत्थरों पर उकेरा जाएगा, जिससे इसकी दीवारों पर रामायण के प्रसंगों का जीवंत अनुभव होगा।
श्रीकृष्ण का उप मंदिर भी बनेगा
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पीके सिन्हा ने बताया कि विराट रामायण मंदिर में कुल 22 देवालय होंगे और 100 से अधिक भगवान की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। भगवान श्रीकृष्ण का एक उप मंदिर भी इसमें शामिल होगा, जहां श्रीकृष्ण की भव्य मूर्ति स्थापित होगी। 140 एकड़ के विशाल मंदिर परिसर में विवाह भवन, धर्मशाला समेत अन्य सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा, जिससे यह परिसर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनेगा।
2027 तक निर्माण पूरा होने की संभावना
आचार्य किशोर कुणाल, जो महावीर मंदिर न्यास के सचिव हैं, ने बताया कि किरण भाई त्रिवेदी ने मंदिर का भ्रमण कर निर्माण प्रक्रिया का निरीक्षण किया। अनुमान है कि 2027 के रामनवमी तक विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इस मंदिर के तैयार होने के बाद यह विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में शुमार होगा और रामायण से जुड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और वास्तुकला के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक बनेगा।
चुनार पत्थरों का विशेष उपयोग
त्रिवेदी ने बताया कि काशी कारिडोर में भी चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इन पत्थरों की खासियत है कि यह न केवल मौसम के प्रभाव से सुरक्षित रहते हैं, बल्कि काई भी नहीं लगती। इन पत्थरों की यह विशेषता उन्हें दीर्घकालीन निर्माण के लिए उपयुक्त बनाती है, जिससे मंदिर की संरचना सदियों तक सुरक्षित रहेगी।
विराट रामायण मंदिर के इस विशाल और अद्वितीय निर्माण कार्य से न केवल भारत, बल्कि विश्वभर में रामायण और भारतीय संस्कृति के महत्व का प्रतीक बनने की उम्मीद है।
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