सहरसा—शनिवार को समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी वैभव चौधरी की अध्यक्षता में राजभाषा हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन हिन्दी भाषा के महत्व और उसके संवर्धन को समर्पित था, जिसमें जिले के सभी प्रमुख अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया, जिसके बाद उन्होंने हिन्दी दिवस के महत्व पर अपने विचार साझा किए।
हिन्दी: हमारी राष्ट्रभाषा
जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने अपने सम्बोधन में बताया कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और इसके संरक्षण तथा विकास के लिए हम सभी को प्रतिबद्ध रहने की आवश्यकता है। उन्होंने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बताया कि 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिन्दी है। साथ ही, उन्होंने अनुच्छेद 351 का उल्लेख किया, जिसमें हिन्दी भाषा के प्रसार और विकास के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हिन्दी भाषा का संवैधानिक महत्व है और इसके विकास के लिए प्रयास करना हम सभी का कर्तव्य है। हिन्दी को अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रयोग कर हम इसके प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
वैश्वीकरण और हिन्दी का महत्व
जिलाधिकारी ने आधुनिक युग में हिन्दी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैश्वीकरण और उदारीकरण के दौर में हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ी है। विशेष रूप से डिजिटल युग में हिन्दी का व्यापक प्रसार हो रहा है, और इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दी भाषी लोग अपनी भाषा को नए आयाम दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक ने हिन्दी के प्रसार में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है और यह समय है जब हम सब हिन्दी के प्रति अपने प्रेम को और गहरा करें।
शुद्ध हिन्दी के प्रयोग की आवश्यकता
हालांकि, जिलाधिकारी ने इस बात पर चिंता जताई कि आज भी बहुत से लोग शुद्ध हिन्दी का प्रयोग नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें शुद्ध हिन्दी के प्रयोग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए, चाहे वह बोलने में हो या लिखने में। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में हिन्दी के प्रति लोगों का प्रेम बढ़ा है, और इसका प्रसार हो रहा है। ऐसे में सभी को अपने परिवारों और समाज में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए।
अन्य वक्ताओं के विचार
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अधिकारियों ने भी हिन्दी के महत्व और उसके विकास पर अपने विचार प्रकट किए। अपर समाहर्ता ज्योति कुमार ने कहा कि हमें हिन्दी को केवल अनुवाद की भाषा के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे बढ़ावा देने के लिए समर्पित प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी का विकास तभी संभव है जब हम इसका नियमित प्रयोग करें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
सामान्य शाखा प्रभारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें शुद्ध हिन्दी बोलने और लिखने की आदत डालनी होगी। उन्होंने कहा कि हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हमें इसके प्रति सम्मान और प्रेम को जागृत करना होगा। इस अवसर पर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी अपने-अपने विचार रखे और हिन्दी के प्रसार के लिए संकल्प लिया।
0 Comments