बिहार के सहरसा जिले का बघवा गांव आज उस संकट का प्रतीक बन चुका है, जो ग्रामीण इलाकों में जल निकासी और आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण उत्पन्न होती है। बारिश के मौसम में यहां का हाल कुछ ऐसा होता है कि थोड़ी सी बारिश भी पूरे गांव को जलमग्न कर देती है। ग्रामीणों की जिंदगी 5 मिनट की बारिश से तालाब जैसी स्थिति में बदल जाती है, जिससे लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पानी का जमाव: एक स्थायी समस्या
बघवा गांव में बारिश के पानी का जमाव कोई नई समस्या नहीं है। यह समस्या पिछले कई वर्षों से ग्रामीणों की दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। बारिश के दौरान और उसके बाद गांव के अधिकांश इलाके जलभराव से जूझते हैं। गांव के मुख्य मार्गों, गलियों, और घरों के बाहर पानी जमा हो जाता है, जिससे लोगों का आवागमन मुश्किल हो जाता है। बच्चों के लिए स्कूल जाना और किसानों का खेतों में काम करना असंभव हो जाता है। हालत यह है कि छोटी सी बारिश भी गांव को तालाब में तब्दील कर देती है।
गांव की संरचनात्मक समस्याएं
बघवा गांव की जल निकासी की व्यवस्था न के बराबर है। गांव की गलियां संकरी हैं, जिनमें उचित जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। अधिकांश घरों के बाहर कोई नाला या जल निकासी का साधन नहीं है, जिससे बारिश का पानी जमा होकर आसपास के इलाकों में फैल जाता है। यह पानी कई दिनों तक सड़कों और घरों के आसपास जमा रहता है, जिससे न केवल दैनिक जीवन प्रभावित होता है, बल्कि संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
वर्षों से बघवा गांव के लोग जलभराव की इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामवासियों का कहना है कि कई बार इस समस्या को स्थानीय प्रशासन के समक्ष उठाया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। जल निकासी की कमी और सड़कों की खस्ता हालत समस्या को और भी विकराल बना देती है।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
गांव में पानी का जमाव केवल असुविधा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा करता है। पानी के लगातार जमा रहने से मलेरिया, डेंगू और जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गंदे पानी में मच्छर पनपते हैं, जो बीमारियों का कारण बनते हैं। इसके अलावा, बारिश के पानी के साथ-साथ गंदगी भी सड़कों पर फैल जाती है, जिससे कई और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
गांव के कई निवासी बीमारियों से जूझ रहे हैं, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी इस समस्या को और जटिल बना देती है। बघवा गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन वहां सुविधाओं की भारी कमी है। बारिश के दौरान स्थिति और भी बिगड़ जाती है, क्योंकि जलभराव के कारण लोगों का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
सरकारी उदासीनता और ग्रामीणों का संघर्ष
बघवा गांव के लोगों ने कई बार स्थानीय प्रशासन और पंचायत से मदद की गुहार लगाई है। लेकिन अब तक इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका है। गांव के निवासियों का कहना है कि चुनाव के समय कई वादे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वे वादे कभी पूरे नहीं होते। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि इस समस्या को समय रहते हल नहीं किया गया, तो भविष्य में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
सरकारी योजनाओं की बात की जाए तो कुछ परियोजनाएं शुरू की गई थीं, जिनमें जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने के वादे किए गए थे। लेकिन उन योजनाओं पर अमल नहीं हो सका। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव को अब तक कोई ठोस समाधान नहीं मिला है, और वे अपने दम पर इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
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