महिषी : हाल ही में कोशी नदी के प्रलयकारी बाढ़ ने दरभंगा और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक तबाही मचाई है। इस आपदा ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया और जीवनयापन के संसाधनों की भारी कमी पैदा कर दी है। इसी संदर्भ में, राह दो फाउंडेशन और एस आर हॉस्पिटल ने अपने सामाजिक और मानवीय दायित्व को समझते हुए बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे कदम बढ़ाया है।
राहत अभियान के दौरान, बाढ़ पीड़ितों के बीच ज़रूरी सामग्रियों का वितरण किया, जिसमें रोज़मर्रा के उपयोगी सामान और जीवनरक्षक दवाइयाँ शामिल थीं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री वितरित करने वाले एस आर हॉस्पिटल के संस्थापक डॉक्टर रमन झा ने इस बारे में चंद्रा टाइम्स से विशेष बातचीत की और बताया कि किस प्रकार इस प्राकृतिक आपदा ने सभी को एकजुट किया है।
रमन झा ने कहा, "कल प्राकृतिक आपदा, कोशी के भयंकर और प्रलयकारी बाढ़ प्रभावित दरभंगा जिले के कीरतपुर और भूगोल क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों की स्थिति का जायजा लेने का अवसर मिला। इस क्षेत्र में हर कोई, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, अगड़ा हो या पिछड़ा, सभी अपनी-अपनी जगह से मदद कर रहे हैं। राजनीतिक दलों की बात करें तो चाहे वह जेडीयू हो, आरजेडी, कांग्रेस, बीजेपी, एलजेपी या कम्युनिस्ट, सभी दलों के लोग इस संकट के समय में अपने स्तर से राहत कार्यों में लगे हुए हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि राह दो फाउंडेशन और एस आर हॉस्पिटल के बैनर तले जो राहत अभियान चलाया जा रहा है, उसमें स्थानीय प्रशासन और सरकार भी पूरी तत्परता और समर्पण के साथ बाढ़ पीड़ितों के बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई है। सरकार की मदद के साथ-साथ सामाजिक संगठनों और व्यक्तिगत रूप से जुड़े हुए लोगों का भी बड़ा योगदान है।
स्थानीय चिकित्सा सहायता और सहयोग
रमन झा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस दौरान उन्हें कई महत्वपूर्ण लोगों से मिलकर सहयोग प्राप्त हुआ। उन्होंने बड़े भाई डॉ. तारानंद सादा का स्नेह प्राप्त होने का जिक्र किया, जो पहले से ही राहत कार्य में लगे हुए थे। साथ ही, स्थल पर उपस्थित डॉ. तारिक, डॉ. यूसुफ, और जेडीयू नेता मोइद्दीन ने भी लगातार राहत कार्यों में अपनी सहभागिता दिखाई।
राहत अभियान में सहयोगी और समाजसेवी अनुज विकास, राजेश, हितेश, बमबम, रोशन कुंवर, और रोशन जैसे लोग भी पूरी निष्ठा के साथ जुड़े हुए थे। इन सभी ने अपना सौ प्रतिशत देकर बाढ़ पीड़ितों की मदद की और अपने कर्तव्य का पूरी तरह पालन किया। उनकी यह सेवा और समर्पण समाज के लिए अनुकरणीय है और अन्य लोगों को भी ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित करता है।
राहत कार्य की चुनौतियाँ और प्रयास
राहत सामग्री में खाद्य पदार्थ, तिरपाल, कपड़े, स्वच्छता उत्पाद, और जीवनरक्षक दवाइयाँ शामिल थीं। सबसे ज़रूरी था चिकित्सा सहायता, क्योंकि बाढ़ के कारण कई लोग जलजनित बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। एस आर हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने तत्काल चिकित्सा शिविर लगाकर लोगों की जांच की और उन्हें आवश्यक दवाइयाँ दीं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य करना आसान नहीं था। बाढ़ के कारण कई सड़कें बंद हो चुकी थीं, और गांवों तक पहुंचने के लिए नावों और स्थानीय साधनों का उपयोग करना पड़ रहा था। इन कठिन परिस्थितियों में भी राहत कार्यों में लगे लोग पूरे जोश और समर्पण के साथ काम कर रहे थे।
समाप्ति और भविष्य की उम्मीदें
राह दो फाउंडेशन और एस आर हॉस्पिटल का यह राहत कार्य निश्चित रूप से बाढ़ पीड़ितों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। इन संगठनों और व्यक्तियों का प्रयास समाज में एक सकारात्मक संदेश दे रहा है कि आपदा के समय हमें एकजुट होकर, बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
रमन झा ने अंत में चंद्रा टाइम्स से बात करते हुए कहा, "यह समय एक-दूसरे का साथ देने का है। चाहे हम किसी भी धर्म, जाति, या पार्टी से हों, हमें मिलकर इस विपदा का सामना करना होगा और बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचानी होगी।"
इस तरह की सामूहिक और संगठित मदद ही बाढ़ जैसी आपदाओं से उबरने में सबसे कारगर साबित होती है, और इससे समाज के हर वर्ग को साथ लाने में मदद मिलती है।
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