सीतामढ़ी ज़िला के मेजरगंज थाना क्षेत्र में हाल ही में एक महत्वपूर्ण अभियान के दौरान सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 20वीं वाहिनी, एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (AVA), चाइल्ड हेल्पलाइन, और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने एक मानव तस्कर, मणि साह, को गिरफ्तार करते हुए पांच नाबालिग बच्चों को मुक्त कराया। यह घटना मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ी सफलता है और विशेष रूप से इस बात को उजागर करती है कि तस्कर बिहार के सहरसा जिला का रहने वाला है।
इन नाबालिग बच्चों की उम्र 10 से 16 वर्ष के बीच थी और इन्हें मेजरगंज थाना क्षेत्र के बसबिट्टा के रास्ते से एक नेपाली तस्कर द्वारा ले जाया जा रहा था। मणि साह ने चार बच्चों को मधेपुरा और एक बच्चे को पूर्णिया जिले से तस्करी करके सीतामढ़ी लाया था। उसकी योजना थी कि वह इन बच्चों से सीतामढ़ी और नेपाल के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में धातु के बर्तन और गहनों की सफाई का काम करवाएगा, जिससे उन्हें मजदूरी के रूप में शोषण का सामना करना पड़ता।
इस अभियान में शामिल एसएसबी के निरीक्षक सह प्रभारी एएचटीयू, प्रकाश चंद्र झा, एसबी के एएसआई विनोद सिंह, AVA के प्रतिनिधि मुकुंद कुमार चौधरी, शिव शंकर ठाकुर, चाइल्ड हेल्पलाइन की प्रतिनिधि सपना कुमारी और रेखा देवी ने एक टीम के रूप में काम किया। उनकी सूझबूझ और तत्परता ने न केवल बच्चों को सुरक्षित निकाला बल्कि तस्कर को भी पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी बच्चों को मुक्त करने के बाद, तस्कर मणि साह को मेजरगंज थाना में सुपुर्द किया गया, जहां आगे की कानूनी कार्रवाई की गई।
इस अभियान के सफल संचालन के बाद, मुकुंद कुमार चौधरी, जो कि एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के वरिष्ठ प्रोजेक्ट अधिकारी हैं, ने मामले की जानकारी वरीय पुलिस उपाधीक्षक सह नोडल पदाधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकाई सीतामढ़ी मो. नजीब अनवर को दी। उन्होंने इस घटना को मानव तस्करी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण चेतावनी के रूप में देखा, जो कि न केवल बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को इस गंभीर मुद्दे के प्रति जागरूक करने का भी काम करता है।
सहरसा जिला, जहाँ से यह तस्कर आया है, में मानव तस्करी की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं, जो कि समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। ऐसे मामलों में अक्सर गरीब परिवारों के बच्चों को निशाना बनाया जाता है, जिनका शोषण किया जाता है। यह घटना सहरसा जिले में इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है और स्थानीय समुदाय के लिए एक जागरूकता का अवसर है।
इस प्रकार, मेजरगंज में यह अभियान न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह सहरसा में मानव तस्करी की समस्या से निपटने के लिए एक स्पष्ट संकेत भी है। सभी सामाजिक संगठनों, सरकारी एजेंसियों और स्थानीय समुदायों को मिलकर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए काम करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और उज्जवल भविष्य मिल सके।
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