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सहरसा जिले के सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र में एक गंभीर जमीनी विवाद के चलते दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस झड़प में कुल छह लोग घायल हुए हैं, जिनमें एक 65 वर्षीय बुजुर्ग और एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़का भी शामिल हैं। सभी घायलों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है। पुलिस मामले की जांच और आवश्यक कार्रवाई में जुट गई है।
झड़प के दौरान घायलों की पहचान
घायलों में दयानन्द यादव (65), सोचेंद्र यादव (55), पिंकू यादव (45), शिव कुमार यादव (35), और योगेश कुमार (16) शामिल हैं। दूसरे पक्ष से भी दो युवक घायल हुए हैं, जिनका इलाज सोनवर्षा राज स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है। घायलों में से एक, शिव कुमार यादव ने बताया कि यह विवाद कई सालों से चल रहा था और भूमि के मालिकाना हक को लेकर दोनों पक्षों में तनाव बना हुआ था।
जमीन पर झोपड़ी बनाने का विवाद
शिव कुमार यादव ने जानकारी दी कि वह अपने भूखंड पर झोपड़ी बना रहा था, जिसके विरोध में पड़ोसी विजेंद्र यादव ने अन्य 10 लोगों के साथ मिलकर उन पर हमला कर दिया। घायल लोगों ने आरोप लगाया कि उनके ऊपर रॉड, फरसा, और लाठियों से जानलेवा हमला किया गया, जिसके चलते सभी के सिर फट गए और खून बहने लगा।
घायलों को उनके परिजनों ने सोनवर्षा राज स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद चार घायलों को सहरसा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। बाकी का इलाज सोनवर्षा स्वास्थ्य केंद्र में जारी है। दूसरी ओर, दूसरे पक्ष का दावा है कि वे जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने का प्रयास कर रहे थे।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही सोनवर्षा राज थाना की पुलिस मौके पर पहुंच गई और मामले की तहकीकात शुरू कर दी। थानाध्यक्ष जय शंकर प्रसाद ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मारपीट का मामला संज्ञान में आया है। पुलिस आवश्यक कार्रवाई करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
निष्कर्ष
यह घटना सहरसा जिले में भूमि विवादों की बढ़ती गंभीरता को दर्शाती है। स्थानीय प्रशासन को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह के विवादों से बचा जा सके। समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए लोगों को कानून का पालन करने और आपसी विवादों को सुलझाने के वैकल्पिक तरीकों को अपनाने की सलाह दी जा रही है।
सहरसा में हुई यह हिंसक झड़प इस बात की याद दिलाती है कि भूमि के अधिकार और विवाद को लेकर हमारे समाज में कितनी संवेदनशीलता है, और इसे सुलझाने के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता है।
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