सहरसा: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 69वीं परीक्षा में सहरसा जिले के कहरा प्रखंड के पडरी वार्ड नंबर चार निवासी रतन कुमार झा ने 181वीं रैंक प्राप्त कर जिले का नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ा दी है। तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ निश्चय और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
रतन कुमार झा के जीवन का सफर संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है। वे स्वर्गीय शशिकांत झा और स्वर्गीय ललिता देवी के पुत्र हैं। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी मां ने दोनों बेटों की परवरिश और पढ़ाई का जिम्मा उठाया। लेकिन, रतन के लिए यह कठिन समय यहीं खत्म नहीं हुआ। जब वे 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी मां का भी आकस्मिक निधन हो गया।
माता-पिता के निधन के बाद रतन के पास चुनौतियों का पहाड़ था। उन्होंने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। परिवार का सहारा न होने पर उन्होंने होम ट्यूशन देना शुरू किया। बच्चों को पढ़ाकर उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया। इस दौरान उन्होंने सहरसा जिला स्कूल से मैट्रिक और मनोहर लाल टेकरीवाल कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की। बाद में, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक और इग्नू से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
सपनों की ओर बढ़ते कदम
रतन ने बताया कि उनका सपना हमेशा से अधिकारी बनने का था। मां के निधन के बाद उन्होंने खुद को संभालते हुए सहरसा में पढ़ाई जारी रखी और फिर बेंगलुरु चले गए। वहां उन्होंने नौकरी के साथ-साथ बीपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। उनके इस सफर में ननिहाल के परिवार ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
तीसरे प्रयास में बीपीएससी में सफलता पाकर वे राजस्व अधिकारी बने हैं। इससे पहले 67वीं बीपीएससी में वे साक्षात्कार तक पहुंचे थे, लेकिन अंतिम रूप से चयन नहीं हो सका था। उन्होंने कहा, “हर असफलता मुझे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देती रही। मैंने अपनी गलतियों से सीखा और आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं।”
आगे का लक्ष्य
रतन कुमार झा का लक्ष्य यहीं खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि वे 70वीं बीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और भविष्य में एसडीएम बनने के साथ-साथ यूपीएससी की परीक्षा में भी सफलता हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने अपने संघर्षों को अपनी ताकत बनाया और इसे आगे बढ़ने का आधार बनाया।
क्षेत्र में खुशी की लहर
रतन की सफलता पर उनके गांव पडरी में उत्सव जैसा माहौल है। पंचायत की मुखिया किरण देवी ने उनकी उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा, “रतन बचपन से ही मेधावी था। उसकी सफलता ने न केवल गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी प्रस्तुत की है।”
प्रेरणादायक व्यक्तित्व
रतन कुमार झा की कहानी यह सिखाती है कि कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद अगर मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा जाए, तो सफलता जरूर मिलती है। उनके संघर्षों और उपलब्धियों ने न केवल उनके क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से कुछ भी असंभव नहीं है।
अब, रतन झा का सपना एसडीएम बनकर समाज की सेवा करना और अपने जीवन की हर बाधा को प्रेरणा में बदलना है। उनकी यह सफलता सहरसा और बिहार के लिए गर्व का विषय है।
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