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चंद्रा टाइम्स

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बिहार के मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज की लापरवाही: जीवन-मृत्यु का सवाल

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बिहार के मधेपुरा जिले में स्थित जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएनकेटी) से एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और जीवन के प्रति संवेदनहीनता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का विवरण

17 नवंबर को मधेपुरा के वार्ड संख्या 17 निवासी रोहित कुमार की गर्भवती पत्नी को प्रसव पीड़ा के कारण मधेपुरा क्रिश्चियन अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रसव के दौरान उनकी पत्नी को बी-पॉजिटिव रक्त की आवश्यकता पड़ी। आनन-फानन में परिजन जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे। वहां डोनर के ब्लड डोनेशन के बाद उन्हें एक थैली रक्त दी गई, जिस पर बी-पॉजिटिव लिखा हुआ था।

हालांकि, जब वे यह रक्त क्रिश्चियन अस्पताल लेकर पहुंचे और वहां रक्त का क्रॉस-मैचिंग टेस्ट किया गया, तो यह पाया गया कि थैली में वास्तव में बी-नेगेटिव रक्त था। यह गलती एक गंभीर दुर्घटना में बदल सकती थी, क्योंकि गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने से मरीज की जान जोखिम में पड़ जाती है।

ब्लड बैंक की लापरवाही

रोहित कुमार के अनुसार, क्रिश्चियन अस्पताल की सतर्कता ने उनकी पत्नी और गर्भ में पल रहे बच्चे की जान बचा ली। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रक्त का क्रॉस-मैचिंग नहीं किया जाता, तो इस गलती का जिम्मेदार कौन होता? इस घटना से स्पष्ट होता है कि मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की लापरवाही से मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है।

प्रशासन का जवाब

मामले की जानकारी मिलने पर जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रक्त केंद्र प्रभारी डॉ. अंजनी कुमार ने स्वीकार किया कि यह गलती उनके लैब टेक्नीशियन से हुई थी। उन्होंने बताया कि जब यह मामला सामने आया, तब सही ब्लड ग्रुप का रक्त उपलब्ध कराया गया। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि मरीज को कोई नुकसान नहीं हुआ।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

यह घटना स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। लैब टेक्नीशियन की गलती से दो जिंदगियां खतरे में पड़ गईं। सवाल यह है कि अगर समय पर क्रॉस-मैचिंग नहीं की जाती, तो क्या होता?

स्वास्थ्य क्षेत्र में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। यह न केवल मेडिकल स्टाफ की दक्षता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि मरीज की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी किस हद तक अनदेखी की जा रही है।

सुधार के उपाय

इस घटना के मद्देनजर, ब्लड बैंकों में निम्नलिखित सुधार आवश्यक हैं:

  1. प्रशिक्षण और जागरूकता: लैब टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ को सही प्रक्रिया और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए।
  2. मॉनीटरिंग सिस्टम: रक्त की जांच और वितरण की प्रक्रिया में एक सख्त मॉनीटरिंग प्रणाली लागू की जाए।
  3. टेक्नोलॉजी का उपयोग: ब्लड बैग की लेबलिंग और क्रॉस-मैचिंग के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
  4. नियमित ऑडिट: ब्लड बैंकों और अस्पतालों में नियमित ऑडिट से गलतियों को कम किया जा सकता है।

जिम्मेदारी की मांग

इस मामले में लैब टेक्नीशियन की गलती को स्वीकार करना पर्याप्त नहीं है। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। किसी भी अस्पताल की प्राथमिक जिम्मेदारी मरीज की जान बचाना है, न कि उसे जोखिम में डालना।





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