सहरसा सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों को स्तब्ध कर दिया। एक साधारण मेडिकल जांच के लिए लाई गई लड़की को लेकर ऐसा हंगामा खड़ा हुआ कि पूरा अस्पताल हलचल में आ गया। यह घटना कुछ ही समय में हर किसी की जुबान पर थी।
घटना की शुरुआत सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र से हुई, जहां प्रेम प्रसंग में घर से भागी एक लड़की को पुलिस ने बरामद किया। अवर निरीक्षक अनुपम कुमारी के नेतृत्व में पुलिस ने लड़की को सहरसा सदर अस्पताल मेडिकल जांच के लिए लाया। अस्पताल का माहौल उस समय तक सामान्य था, लेकिन जो होने वाला था, उसने सबको चौंका दिया।
जैसे ही लड़की अस्पताल पहुंची, उसके परिजनों को इसकी खबर मिल गई। कुछ ही समय बाद, अस्पताल के अंदर तनाव बढ़ने लगा। लड़की के परिजन अस्पताल पहुंच गए और उसे पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाने का प्रयास करने लगे। उनका गुस्सा और आक्रामकता देखकर अस्पताल के लोग दंग रह गए।
इस बीच, लड़की ने खुद को बचाने के लिए जो रास्ता चुना, वह अप्रत्याशित था। परिजनों के डर और दबाव से बचने के लिए वह भागते हुए सीधे प्रसव कक्ष के लेबर रूम में घुस गई। यह रूम उस समय एक अन्य महिला के प्रसव के लिए इस्तेमाल हो रहा था। लड़की के पीछे-पीछे उसके परिजन भी वहां घुस आए।
प्रसव कक्ष में एकाएक इतनी भीड़ देखकर वहां मौजूद महिला डॉक्टर और नर्सें घबरा गईं। डॉक्टर ने तुरंत नाराजगी जाहिर की और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। लेबर रूम जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह का हंगामा न केवल अस्पताल के कामकाज में बाधा डाल रहा था, बल्कि वहां मौजूद मरीजों की जान को भी खतरे में डाल रहा था।
लड़की ने अपनी जान बचाने के लिए लेबर रूम में छिपने का फैसला क्यों किया? यह सवाल हर किसी के मन में गूंज रहा था। परिजनों की हरकतें और उनके गुस्से ने यह स्पष्ट कर दिया कि लड़की का डर वास्तविक था। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन परिजनों की आक्रामकता के कारण मामला और भी पेचीदा हो गया।
अस्पताल में हंगामे का यह आलम कुछ देर तक चलता रहा। पुलिस को अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा ताकि हालात काबू में आ सकें। लड़की को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया।
प्रेम प्रसंग में भागी लड़की के साथ जो हुआ, वह न केवल एक पारिवारिक विवाद की कहानी है, बल्कि यह उस सामाजिक दबाव और खौफ को भी उजागर करता है, जिससे ऐसी लड़कियां जूझती हैं। आखिरकार, लड़की की किस्मत का फैसला क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यह घटना सदर अस्पताल और सहरसा जिले के लोगों के लिए लंबे समय तक यादगार रहेगी।
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