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चंद्रा टाइम्स

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Saharsa News : दूसरी शादी से टूट गई जिंदगी, पत्नी ने खाया जहर, जांच में जुटी पुलिस


सहरसा जिले के बनगांव थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव, परी, में शुक्रवार की रात एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। गांव के शांत माहौल में अचानक से पसरे इस मातम ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इंसान की सहनशीलता की सीमा कितनी होती है।

परी गांव की मीरा देवी, जिसकी उम्र मात्र 28 साल थी, एक साधारण गृहिणी थी। उसकी शादी अमित साह से हुई थी, जो ई-रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करता था। लेकिन इस साधारण सी दिखने वाली शादीशुदा जिंदगी के पीछे एक ऐसा राज छिपा था, जिसे जानने के बाद हर कोई सन्न रह गया।

मीरा का मायका नवहट्टा थाना क्षेत्र के कुंदह गांव में था। भाई ज्ञानी साह ने बताया कि शादी के बाद से ही मीरा की जिंदगी में काले बादल छाए हुए थे। उसका पति अमित साह, न केवल एक अन्य महिला के साथ प्रेम संबंध में था, बल्कि उसने उस महिला से शादी भी कर ली थी। जैसे ही यह बात मीरा और उसके परिवार को पता चली, उनका आक्रोश फूट पड़ा। पंचायत बुलाकर अमित को समझाया गया और उसे मीरा के साथ रहने के लिए मनाया गया।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। पंचायत के दबाव में अमित मीरा के साथ रहने तो लगा, परंतु मीरा की जिंदगी सुधरने के बजाय और खराब होती गई। अमित का व्यवहार लगातार बिगड़ता गया। वह आए दिन मीरा के साथ मारपीट करता और उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाता। मीरा ने कई बार यह सब सहन किया, शायद अपने बच्चों या समाज की वजह से, लेकिन हर सहनशीलता की एक सीमा होती है।

शुक्रवार को अमित का गुस्सा एक बार फिर चरम पर पहुंच गया। उसने मारपीट के दौरान मीरा के सामने दूसरी महिला के साथ रहने की बात कह दी। यह सुनकर मीरा का दिल टूट गया। वह अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थी। वह अपने आत्मसम्मान, अपने जीवन और अपने सपनों के लिए लड़ाई हार चुकी थी। उस रात मीरा ने जहर खा लिया।

परिवार ने उसे तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन मौत ने उसके दर्द का अंत कर दिया। मीरा अब इस दुनिया में नहीं रही। वह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई—क्या एक महिला की जिंदगी इतनी सस्ती है? क्या समाज में ऐसे लोगों के लिए कोई सख्त सजा नहीं है?

घटना के बाद से आरोपी पति अमित साह फरार है। मृतका के भाई और परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है। बनगांव थानाध्यक्ष पिंकी कुमारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। कानूनी प्रक्रिया अपने रास्ते पर है, लेकिन इस घटना ने हर किसी के दिल में एक गहरी छाप छोड़ दी है।

मीरा की आत्महत्या सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि समाज के उन कड़वे सचों का आईना है, जिन पर अक्सर पर्दा डाल दिया जाता है। वह अपने दर्द और अपमान के खिलाफ लड़ाई हार गई, लेकिन शायद उसकी कहानी दूसरों को जागरूक कर सके, अन्याय के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दे सके।

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