बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भारत के सर्व सनातन समाज ने आवाज उठाने का संकल्प लिया है। इस मुद्दे को लेकर सोमवार को पंचवटी में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता इंजीनियर रामेश्वर ठाकुर ने की, जबकि संचालन विद्या वरण सिंह ने किया।
बैठक में चर्चा के दौरान यह गंभीर चिंता व्यक्त की गई कि बांग्लादेश में हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, और पारसी जैसे अल्पसंख्यक समुदायों को योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। सदस्यों ने कहा कि इन समुदायों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और वहां के प्रजातांत्रिक ढांचे को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही, भारत के खिलाफ कट्टरपंथी समूहों द्वारा दुष्प्रचार भी किया जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है।
सनातन संघर्ष समिति ने बताया कि बांग्लादेश की स्थापना में भारत की ऐतिहासिक भूमिका रही है, लेकिन वर्तमान में वहां कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इस वजह से बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है। समिति के सदस्यों ने कहा कि इन ज्वलंत मुद्दों पर भारत की ओर से ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
आंदोलन की योजना
बैठक में निर्णय लिया गया कि 7 दिसंबर को एक आम सभा आयोजित की जाएगी, जिसके बाद राष्ट्रपति के नाम जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। यह ज्ञापन मानवाधिकारों की रक्षा और प्रजातंत्र की पुनर्स्थापना के लिए ठोस कार्रवाई की मांग करेगा। इसके अलावा, 10 दिसंबर को सभी जिलों में प्रबुद्ध जनों की गोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के हालात और इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्य
इस बैठक में उमाशंकर खां, प्रोफेसर कामाख्या नारायण सिंह, प्रणव मिश्रा, पमपम सिंह, आशीष टिंकू, शिवभूषण सिंह, संतोष कुमार झा, सुमन झा, सुदीप प्रसाद सिंह, ध्रुव कुमार झा, नवीन मिश्रा, रणधीर भगत, ज्ञान प्रकाश दत्त, डॉ मुरारी कुमार, दीपक कुमार, मनीष कुमार, कृष्णकांत कुमार, और विजय बसंत सहित कई अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।
बैठक में उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस बात पर जोर दिया कि यह केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मानवाधिकार संकट है। समिति ने सभी भारतीय नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस आंदोलन में शामिल हों और आवाज उठाएं।
मानवाधिकार और प्रजातंत्र की रक्षा पर जोर
संघर्ष समिति ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार केवल धार्मिक समस्या नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकार और प्रजातंत्र के खिलाफ एक गंभीर खतरा है। यह समय है कि भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर इन मुद्दों पर सशक्त कदम उठाएं।
इस बैठक के जरिए सनातन समाज ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता दिखाने और उनकी आवाज बनने का संकल्प लिया। आने वाले दिनों में इस आंदोलन के तहत और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता के साथ उठाया जा सके।
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