बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री, जीतन राम मांझी ने रविवार को जहानाबाद के गांधी मैदान में आयोजित मुसहर-भुईंया सम्मेलन में अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को दी गई उपेक्षा को लेकर तीखा हमला बोला। इस सम्मेलन में मांझी ने आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए 40 सीटों की मांग करते हुए एनडीए को अपनी ताकत दिखाने की बात कही। साथ ही उन्होंने समाज की आबादी के हिसाब से सीटों की मांग की और भाजपा और अन्य सहयोगी दलों को चेतावनी दी कि अगर उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो उनकी पार्टी अपने तरीके से चुनावी मैदान में उतरेगी।
एनडीए ने किया उपेक्षित, मांझी ने जताई नाराजगी
जीतन राम मांझी ने अपने भाषण में कहा कि एनडीए ने उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को कमजोर समझने की गलती की है। उन्होंने बताया कि झारखंड और दिल्ली के चुनावों में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई, जबकि अगर उन्हें दो-तीन सीटें दी जातीं तो पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी। मांझी ने कहा कि बिहार में उनकी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा है और अगर उन्हें उचित मौका मिला होता, तो इस प्रदर्शन को अन्य राज्यों में भी दोहराया जा सकता था।
उन्होंने आगे कहा, "एनडीए ने हमें नजरअंदाज किया, लेकिन हम अपनी ताकत दिखाएंगे। हम चाहते हैं कि बिहार के मुसहर और भुईंया समाज को उनका हक मिले, जो उनकी आबादी के हिसाब से उचित प्रतिनिधित्व से वंचित हैं।" मांझी ने अपनी पार्टी की आगामी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि पटना के गांधी मैदान में जल्द एक बड़ी सभा आयोजित की जाएगी, जहां उनकी पार्टी अपनी ताकत का खुलकर प्रदर्शन करेगी।
2025 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटों की मांग
जीतन राम मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 40 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि मुसहर और भुईंया समाज की आबादी को देखते हुए उन्हें अपनी उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। इस मांग को लेकर उन्होंने महुआ और जहानाबाद जैसे जिलों में जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का भी ऐलान किया।
मांझी ने यह भी कहा, "हमारी पार्टी ने हमेशा समाज के पिछड़े और उपेक्षित वर्गों के अधिकार की बात की है, और अब समय आ गया है कि हम अपनी ताकत और राजनीतिक स्थिति का सही इस्तेमाल करें। हमें हमारी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, और हम इसे लेकर आंदोलन करेंगे।"
तेजस्वी यादव पर किया हमला
संजय यादव और तेजस्वी यादव पर अपने बयान में जीतन राम मांझी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि जब तेजस्वी यादव और उनके परिवार सत्ता में थे, तब उन्होंने न तो मां की चिंता की, न बहन की। उस समय उनका ध्यान सिर्फ सत्ता में मलाई खाने पर था। अब जब सत्ता से बाहर हैं, तो बिहार की महिलाओं को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता अब इस झांसे में नहीं आने वाली। मांझी ने साफ कहा, "बिहार की जनता तेजस्वी यादव के झूठे वादों और जाल में फंसने वाली नहीं है।"
सम्मेलन में उमड़ी भारी भीड़, पार्टी का उत्साह बढ़ा
जहानाबाद के गांधी मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में भारी भीड़ उमड़ी, जो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की बढ़ती ताकत और लोकप्रियता का प्रतीक था। इस अवसर पर मांझी के पुत्र और बिहार सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन, पूर्व मंत्री अनिल कुमार, विधायक देवेंद्र मांझी, रितेश कुमार, मनीष कुमार पंपी शर्मा, प्रभात भूषण श्रीवास्तव और एसके सुनील समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। सम्मेलन में बड़ी संख्या में नए सदस्य भी पार्टी में शामिल हुए, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी में जनता का विश्वास बढ़ रहा है।
नई रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान
मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी 2025 के विधानसभा चुनावों में किसी भी हाल में अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है। एनडीए में रहते हुए अगर उन्हें उचित सीटें नहीं दी जातीं, तो उनकी पार्टी अलग से भी चुनावी मैदान में उतरेगी। "हम एनडीए के भीतर या बाहर, अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे," मांझी ने कहा।
साथ ही, मांझी ने यह भी कहा कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बिहार में समाज के सबसे कमजोर और पिछड़े वर्गों के हक के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि उनकी पार्टी भविष्य में और भी बड़े सम्मेलन और आंदोलनों के जरिए अपने जनाधार को मजबूत करेगी और बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाए रखेगी।
निष्कर्ष
जीतन राम मांझी का जहानाबाद में आयोजित मुसहर-भुईंया सम्मेलन और उनके द्वारा दी गई 40 सीटों की मांग बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की नई राजनीतिक दिशा को दिखाता है। अगर मांझी की पार्टी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, तो वह एनडीए के खिलाफ भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारियों में है। यह आगामी चुनावों में बिहार की सियासी तस्वीर को बदल सकता है, और मांझी की पार्टी के लिए एक बड़ा चुनावी मोर्चा हो सकता है।
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