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चंद्रा टाइम्स

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Bihar news : पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल, चरस तस्कर को पहचानने से इनकार पर थानेदार निलंबित


मोतिहारी, बिहार: 
बिहार के मोतिहारी जिले में पुलिस प्रशासन से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। डेढ़ साल पहले गिरफ्तार किए गए चरस तस्कर को कोर्ट में पहचानने से इनकार करने वाले तत्कालीन थानाध्यक्ष इंद्रजीत पासवान को निलंबित कर दिया गया है। इस घटना के बाद पुलिस महकमे की कार्यशैली पर तीखी आलोचना हो रही है।  

तस्कर की पहचान से इनकार बना विवाद का कारण
 
रामगढ़वा थाना क्षेत्र में लगभग डेढ़ साल पहले थानाध्यक्ष इंद्रजीत पासवान ने गुप्त सूचना के आधार पर तीन चरस तस्करों को गिरफ्तार किया था। इनमें से दो तस्करों के बैग से चरस बरामद की गई थी, जबकि तीसरा तस्कर बाइक चला रहा था। गिरफ्तारी के बाद थानाध्यक्ष ने खुद इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई और तीनों को जेल भेजा।  

जब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, तो पांच महीने पहले अपने बयान में इंद्रजीत पासवान ने दो तस्करों की पहचान कर ली, लेकिन तीसरे तस्कर को पहचानने से इनकार कर दिया। पासवान का यह बयान न्याय प्रक्रिया में बाधा बन गया, और सरकारी वकील ने इसे गंभीरता से लेते हुए मोतिहारी एसपी को कार्रवाई की सिफारिश की।  

एसपी ने लिया सख्त एक्शन

मोतिहारी के एसपी स्वर्ण प्रभात ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से थानेदार इंद्रजीत पासवान को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, उनकी संपत्ति की जांच के आदेश दिए गए हैं। एसपी ने कहा, "यह मामला पुलिस की छवि को धूमिल करता है। थानेदार का इस प्रकार होस्टाइल होना न्याय प्रक्रिया को बाधित करता है।"  

थानेदार पर पहले भी लगे आरोप
 
यह पहली बार नहीं है जब इंद्रजीत पासवान विवादों में घिरे हैं। रामगढ़वा थाना में उनकी तैनाती के दौरान भी उच्च न्यायालय के आदेश पर उन्हें लाइन हाजिर किया गया था। अब बंजरिया थाना में तैनाती के दौरान यह घटना हुई है।  

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने भी पासवान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बंजरिया के प्रमुख ने आरोप लगाया कि थानेदार अपने करीबी लोगों के माध्यम से थाने का कामकाज चलाते थे और वसूली करते थे। उन्होंने फोन कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और बैंक खातों की जांच की मांग की है।  

थानेदार ने बताया साजिश
 
इंद्रजीत पासवान ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा, "बंजरिया प्रमुख एक वारंटी है, और मेरे खिलाफ यह साजिश उसी की ओर से की जा रही है। मैंने हाल ही में एक सरकारी वकील के खिलाफ एसपी से शिकायत की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।"  

पुलिस की साख पर सवाल

यह घटना पुलिस की ईमानदारी और न्याय प्रक्रिया पर गहरा सवाल खड़ा करती है। तस्कर की पहचान से इनकार और थाने में भ्रष्टाचार के आरोपों ने पुलिस प्रशासन की छवि को धूमिल कर दिया है।  

न्याय की उम्मीद
 
मोतिहारी एसपी द्वारा थानेदार के खिलाफ की गई कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन यह मामला इस बात की भी मांग करता है कि न्याय प्रक्रिया को बाधित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।  

निष्कर्ष

यह मामला एक बार फिर से दिखाता है कि पुलिस प्रशासन में सुधार की आवश्यकता है। जहां एक ओर पुलिस अपराधियों को पकड़ने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं न्याय प्रक्रिया और पुलिस की साख को नुकसान पहुंचाती हैं। अब देखना यह है कि जांच में क्या निष्कर्ष निकलता है और क्या इस मामले से पुलिस की छवि को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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