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चंद्रा टाइम्स

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Bihar news : थाना के अंदर दारोगा को थप्पड़ मारकर थानेदार दिखा रहा था वर्दी का रौब, एसएसपी ने किया सस्पेंड


पटना, बिहार: बिहार के एक थाना क्षेत्र में हुई एक अप्रत्याशित घटना ने पुलिस विभाग में हलचल मचा दी है। एक थानेदार द्वारा अपने अधीनस्थ दारोगा को वर्दी का रौब दिखाने के लिए थप्पड़ मारने की घटना सामने आई है। मामला जब उच्च अधिकारियों के ध्यान में आया, तो तुरंत कार्रवाई की गई और आरोपित थानेदार को निलंबित कर दिया गया। यह घटना पुलिस व्यवस्था में एक नई तरह की दबंगई और शक्ति के प्रयोग का उदाहरण बन गई है, जो जनता की सेवा में लगी पुलिस की छवि को धक्का पहुंचाने वाला था।

घटना का विवरण

यह घटना बिहार के एक थाने की है, जहां थानेदार ने अपने ही अधीनस्थ दारोगा के साथ अनुशासनहीनता का व्यवहार किया। आरोप के अनुसार, थानेदार ने किसी मामूली बात को लेकर गुस्से में आकर दारोगा को थप्पड़ जड़ दिया। बताया जा रहा है कि यह घटना थाने के अंदर हुई, जहां दारोगा और थानेदार के बीच किसी कामकाजी मुद्दे को लेकर विवाद हुआ था। थानेदार ने अपनी वर्दी का रौब दिखाते हुए दारोगा को थप्पड़ मारा, जिससे दोनों के बीच तनाव बढ़ गया। 

दारोगा की शिकायत और कार्रवाई

घटना के तुरंत बाद, दारोगा ने इस घटना की शिकायत उच्च अधिकारियों से की। उसने एसएसपी (Senior Superintendent of Police) के पास पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी दी और अपने साथ हुए इस दुर्व्यवहार का जिक्र किया। दारोगा का आरोप था कि थानेदार ने वर्दी का इस्तेमाल कर उसे अपमानित किया और सरेआम थप्पड़ मारा, जो कि पूरी तरह से अनुशासनहीन और अस्वीकार्य है।  

एसएसपी ने इस गंभीर आरोप को गंभीरता से लिया और तत्काल मामले की जांच शुरू कर दी। जांच में यह साबित हो गया कि थानेदार का व्यवहार अनुशासनहीन था, और उसने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया। इस घटना के बाद, एसएसपी ने थानेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे सस्पेंड कर दिया।

एसएसपी का बयान

एसएसपी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, "हमारे विभाग में इस तरह का व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है। पुलिस कर्मियों के बीच सामूहिक अनुशासन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है, और किसी भी प्रकार की हिंसा या अपमानजनक व्यवहार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में, थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है और उसे निलंबित कर दिया गया है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "पुलिस बल को जनता की सेवा में आदर्श स्थापित करना चाहिए, और कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जो विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"  

थानेदार का निलंबन

विभागीय जांच के बाद, थानेदार को निलंबित कर दिया गया। निलंबन का आदेश तुरंत प्रभाव से लागू किया गया, और थानेदार को पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया। विभागीय अनुशासन और नियमों के उल्लंघन के कारण इस कार्रवाई को उचित ठहराया गया। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, थानेदार के खिलाफ आगे भी जांच जारी रहेगी और यदि आरोप साबित होते हैं, तो उसे और कड़ी सजा दी जा सकती है।  

समाज में संदेश

यह घटना पुलिस विभाग के भीतर अनुशासनहीनता और वर्दी के गलत इस्तेमाल का उदाहरण बन गई है। पुलिस बल की छवि को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उच्च मानकों के साथ काम करने की दिशा में प्रशिक्षित किया जाए। साथ ही, इस घटना ने यह भी दर्शाया कि विभाग में हो रहे किसी भी अनुशासनहीनता की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए तुरंत और कठोर कार्रवाई की जाती है।

वहीं, इस मामले ने यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या पुलिस बल के भीतर इस तरह की दबंगई और शक्ति का गलत इस्तेमाल आम बात बन गई है। यह घटना एक संकेत है कि पुलिस को जनता की सेवा में रहते हुए अपनी शक्ति और रौब का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, और किसी भी तरह की अनुशासनहीनता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

यह घटना बिहार पुलिस के लिए एक चेतावनी है कि वर्दी का रौब और शक्ति का गलत इस्तेमाल किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। विभाग में अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। इस मामले में एसएसपी द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई ने यह साबित किया कि पुलिस विभाग में अनुशासन की कोई भी कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सभी पुलिसकर्मियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

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