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चंद्रा टाइम्स

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Bihar news : रेलवे सुरक्षा बल की मानव तस्करी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका, ऑपरेशन 'आहट' और 'नन्हे फरिश्ते' से सैकड़ों जिंदगियां बचाई गईं



पटना (बिहार): रेलवे नेटवर्क का उपयोग न केवल लोगों के आवागमन और वस्तुओं के परिवहन के लिए होता है, बल्कि असामाजिक तत्वों द्वारा मानव तस्करी जैसी गंभीर गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा है। इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने उल्लेखनीय पहल की है। RPF न केवल रेलवे क्षेत्र के भीतर मानव तस्करी को रोकने में मदद करता है, बल्कि इस मामले में राज्य पुलिस और अन्य एजेंसियों को सहयोग भी प्रदान करता है।  

मानव तस्करी: गंभीर समस्या और RPF की भूमिका
 
मानव तस्करी, विशेषकर महिलाओं और बच्चों का शोषण, भारत में एक बड़ी चुनौती है। तस्कर गरीब और असहाय लोगों को नौकरी, पैसे और बेहतर जीवन का लालच देकर शोषण के मकसद से फंसा लेते हैं। इन लोगों को यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन श्रम, अवैध विवाह, अंग प्रत्यारोपण, भीख मांगने और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे कार्यों में धकेला जाता है।  

हालांकि, मानव तस्करी को रोकना मुख्य रूप से राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल (RPF) इस चुनौती का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। RPF का नेटवर्क भारतभर में फैला हुआ है, और यह रेलवे के माध्यम से तस्करी के मामलों का पता लगाने, अपराधियों को पकड़ने और पीड़ितों को बचाने में राजकीय रेल पुलिस (GRP) और अन्य एजेंसियों को सहायता प्रदान करता है।  

रेलवे सुरक्षा बल की बड़ी पहल: ऑपरेशन 'आहट'
  
RPF द्वारा मानव तस्करी के खिलाफ शुरू किया गया राष्ट्रव्यापी अभियान 'ऑपरेशन आहट' इस समस्या से लड़ने की दिशा में एक बड़ी पहल है। इस अभियान के तहत लंबी दूरी की ट्रेनों और महत्वपूर्ण मार्गों पर विशेष टीमें तैनात की जाती हैं। इन टीमों का मुख्य उद्देश्य तस्करों की पहचान करना, उन्हें पकड़ना और पीड़ितों को बचाना है।  

- उल्लेखनीय उपलब्धियां:
  
  - वर्ष 2022, 2023, और 2024 में पूरे भारत में RPF ने 2,614 पीड़ितों को तस्करों के चंगुल से बचाया।  
  - 753 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया।  
  - पूर्व मध्य रेल ने वर्ष 2024 में 444 बच्चों को बचाया और 134 तस्करों को गिरफ्तार किया।  

ऑपरेशन 'नन्हे फरिश्ते': बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान

इस अभियान का उद्देश्य देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को बचाना है। खासकर, वे बच्चे जो अकेले या संदिग्ध व्यक्तियों के साथ यात्रा कर रहे होते हैं।  

- अभियान की सफलता:

  - वर्ष 2024 में पूरे भारत में RPF ने 30,447 बच्चों को बचाया।  
  - पूर्व मध्य रेल ने अकेले 2024 में 2,310 बच्चों को बचाया।  
  - वर्ष 2023 में पूर्व मध्य रेल ने 1,140 बच्चों को बचाया।  

मानव तस्करी रोकने के लिए विशेष टीमें
  
RPF ने अब तक 53 विशेष टीमों का गठन किया है, जो तस्करी के मामलों की जानकारी पर तत्काल कार्रवाई करती हैं। ये टीमें:  
1. अपराध से संबंधित जानकारी का विश्लेषण करती हैं।  
2. तस्करी के लिए उपयोग किए जा रहे रेलमार्गों की पहचान करती हैं।  
3. संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी करती हैं।  
4. अन्य एजेंसियों और बच्चों के लिए काम करने वाले संगठनों के साथ समन्वय करती हैं।  

सार्वजनिक जागरूकता अभियान

RPF ने मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई को जन आंदोलन का रूप देने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है। रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों और स्थानीय इलाकों में लोगों को इस गंभीर अपराध के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। RPF यात्रियों और स्थानीय लोगों को संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करता है।  

गृह मंत्रालय द्वारा मान्यता
 
मानव तस्करी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए RPF को गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। RPF की यह पहल भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करती है।  

निष्कर्ष

रेलवे सुरक्षा बल की सक्रियता और प्रतिबद्धता ने मानव तस्करी जैसी गंभीर समस्या से लड़ने में नई उम्मीदें जगाई हैं। ऑपरेशन 'आहट' और 'नन्हे फरिश्ते' जैसे अभियानों से न केवल सैकड़ों बच्चों और महिलाओं को तस्करों के चंगुल से बचाया गया है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि सही रणनीति और इच्छाशक्ति से इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। यह अभियान देश के हर कोने में तस्करों के मंसूबों को नाकाम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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