पटना: मकर संक्रांति के मौके पर बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। इस बार बहस का केंद्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर चल रही उठापटक है। लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के एक बयान ने राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया। मीसा ने नीतीश कुमार को 'हमारा अभिभावक' बताते हुए कहा कि उनके लिए आरजेडी के दरवाजे हमेशा खुले हैं। उनके इस बयान से आरजेडी के भीतर ही विवाद शुरू हो गया है।
मीसा भारती का बयान और सियासी भूचाल
मीसा भारती ने अपने बयान में कहा, "नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं। उनके लिए आरजेडी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे। राजनीति में हर कोई साथ आ सकता है।" मीसा का यह बयान ऐसे समय आया है जब आरजेडी के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आरजेडी का नीतीश कुमार के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा और पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी।
मीसा के इस बयान के बाद आरजेडी के भीतर और बाहर दोनों जगह बहस शुरू हो गई है। कई नेताओं ने इसे पार्टी लाइन से अलग करार दिया, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और लालू परिवार के सदस्य तेजप्रताप यादव ने अपने भाई तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए मीसा के बयान पर असहमति जताई है।
तेजप्रताप यादव ने किया तेजस्वी का समर्थन
तेजप्रताप यादव ने मीसा भारती के बयान का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करते हुए कहा कि पार्टी के फैसले तेजस्वी यादव की अगुवाई में ही लिए जाएंगे। उन्होंने कहा, "आरजेडी का स्टैंड पहले से ही साफ है। नीतीश कुमार के साथ गठबंधन का कोई सवाल नहीं है। हमारा उद्देश्य बिहार में जनता के हित में काम करना है और इसके लिए तेजस्वी यादव का नेतृत्व ही पर्याप्त है।"
तेजप्रताप के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि लालू परिवार में नीतीश कुमार को लेकर विचारों का टकराव है। जहां मीसा भारती ने नरम रुख अपनाया है, वहीं तेजस्वी और तेजप्रताप ने स्पष्ट संदेश दिया है कि आरजेडी अपनी रणनीति पर अडिग है।
नीतीश कुमार के लिए 'दरवाजे खुले' पर राजनीति
मीसा के बयान पर भाजपा और जदयू ने भी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने इसे आरजेडी में आंतरिक कलह का नतीजा बताया। भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, "आरजेडी में कोई एकरूपता नहीं है। मीसा भारती एक तरफ नीतीश कुमार को बुलाने की बात कर रही हैं, जबकि तेजस्वी यादव इसे खारिज कर रहे हैं। यह आरजेडी की अस्थिरता को दिखाता है।"
जदयू की ओर से अभी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार को लेकर आरजेडी के रुख को लेकर जदयू सतर्क है।
क्या नीतीश की वापसी संभव है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की आरजेडी में वापसी की संभावना बेहद कम है। हालांकि, मीसा भारती के बयान को राजनीतिक सौजन्य के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी की रणनीति अब गठबंधन से हटकर स्वतंत्र रूप से राजनीति करने की ओर बढ़ रही है।
आरजेडी के भीतर मतभेद
मीसा भारती के बयान के बाद आरजेडी के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पार्टी के कुछ नेता मीसा के बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अधिकांश नेता तेजस्वी और तेजप्रताप की रणनीति के साथ खड़े हैं। आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "पार्टी को एकजुट रहने की जरूरत है। ऐसे बयान हमारी रणनीति को कमजोर कर सकते हैं।"
राजनीतिक संदेश
मीसा भारती के बयान और तेजस्वी यादव के विरोधाभासी रुख ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस बयानबाजी ने न केवल आरजेडी बल्कि विपक्षी गठबंधन के अंदर भी हलचल पैदा कर दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू प्रसाद यादव इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं और पार्टी के भीतर इस मुद्दे को कैसे सुलझाया जाता है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में मीसा भारती के बयान ने आरजेडी के भीतर मतभेद को उजागर कर दिया है। तेजस्वी यादव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी नीतीश कुमार के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना से इनकार करती है। वहीं, मीसा का नरम रुख और तेजप्रताप का तेजस्वी के समर्थन में खड़ा होना लालू परिवार में राजनीतिक विचारधारा के विभाजन को दर्शाता है। आगामी चुनावों में आरजेडी की रणनीति और इस बयानबाजी का असर क्या होगा, यह आने वाले समय में साफ हो पाएगा।
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