मुजफ्फरपुर, बिहार: मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड के बसघट्टा क्षेत्र में फॉल्स डैम टूटने से सैकड़ों एकड़ खेतों में पानी भर गया है। इस हादसे ने इलाके के किसानों को गहरी मायूसी में धकेल दिया है। घटना में 80 एकड़ से अधिक खेतों में लगी रबी की फसल, विशेष रूप से गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। पहले से ही कर्ज और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे किसानों के लिए यह घटना एक और बड़ा संकट बनकर सामने आई है।
फसल डूबने से बढ़ा संकट
स्थानीय किसानों ने बताया कि इस साल उन्होंने खेती के लिए महाजन और बैंक से कर्ज लिया था। लेकिन फॉल्स डैम के टूटने से उनकी महीनों की मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिर गया। किसान हाल ही में आई बाढ़ के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ठंड के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति ने उनकी परेशानी दोगुनी कर दी।
भवानीपुर नवादा और आसपास के क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
बसघट्टा के भवानीपुर नवादा और इसके आसपास के इलाकों में पानी का फैलाव सबसे अधिक हुआ है। किसानों ने बताया कि उनकी गेहूं और अन्य रबी फसलें पूरी तरह डूब गई हैं। इससे वे गहरे आर्थिक संकट में फंस गए हैं।
खनन माफिया और कमजोर फॉल्स डैम जिम्मेदार
इस घटना के लिए किसानों ने मिट्टी खनन करने वाले माफियाओं को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि अवैध खनन के चलते नदी किनारे का फॉल्स डैम कमजोर हो गया था, जिसके टूटने से यह संकट खड़ा हुआ।
किसानों ने पहले भी प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया था, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। एक स्थानीय किसान ने बताया, “हमने कई बार प्रशासन से कहा था कि खनन माफिया के कारण डैम कमजोर हो रहा है। लेकिन हमारी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया। अब हमारी फसल डूब गई है और हमारे पास कर्ज चुकाने का कोई साधन नहीं बचा है।"
प्रशासन की प्रतिक्रिया और राहत कार्य
घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया है। कटरा प्रखंड के अंचल अधिकारी ने कहा कि किसानों से फसल डूबने की सूचना मिली है और डैम के टूटने से प्रभावित इलाकों में जलभराव को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लघु सिंचाई और जल संसाधन विभाग को पानी निकालने के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, प्रभावित किसानों की फसल क्षति का आकलन किया जा रहा है, ताकि उन्हें नियमानुसार राहत प्रदान की जा सके।
स्थायी समाधान और राहत पैकेज की मांग
फसल के नुकसान से हताश किसानों ने प्रशासन से तुरंत मुआवजे और स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक अवैध खनन पर सख्ती से रोक नहीं लगाई जाती, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
स्थानीय किसान संगठनों ने भी सरकार से प्रभावित किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की है। किसानों ने स्पष्ट किया कि वे केवल क्षतिपूर्ति नहीं, बल्कि ऐसी घटनाओं के लिए स्थायी समाधान चाहते हैं।
इलाके में दहशत और प्रशासन से नाराजगी
इस घटना ने इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर खनन माफियाओं पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
प्रभावित किसान अब राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर देख रहे हैं, ताकि उन्हें इस आपदा से राहत मिल सके।
निष्कर्ष
डैम टूटने की यह घटना केवल प्राकृतिक आपदा का मामला नहीं है, बल्कि इसमें मानव निर्मित खतरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। अवैध खनन और प्रशासन की लापरवाही ने किसानों को इस स्थिति में पहुंचा दिया है। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन किसानों की समस्याओं को कितनी गंभीरता से लेता है और उन्हें राहत देने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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