पटना, बिहार: जन सुराज के नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा में धांधली और छात्रों के अधिकारों के लिए अपनी जारी लड़ाई के बीच एक नया मोड़ लिया है। इस बार, उन्होंने बिहार के केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान की तारीफ की, जिन्होंने बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली का मुद्दा उठाया और छात्रों के लिए री-एग्जाम की मांग की।
चिराग पासवान का कदम स्वागत योग्य: प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने चिराग पासवान के इस कदम को सराहा और उन्हें एक सुलझे हुए नेता करार दिया। किशोर ने कहा, "चिराग पासवान मेरे अच्छे मित्र हैं, और देर से ही सही, उन्होंने छात्रों के मुद्दे को उठाया। उनका यह कदम स्वागत योग्य है कि उन्होंने बिहार के बच्चों का समर्थन किया है। पहले इस मुद्दे पर केवल विपक्ष, छात्र और मैं आवाज उठा रहे थे, लेकिन अब भारत सरकार के मंत्री और एनडीए के एक बड़े घटक दल के नेता भी मानते हैं कि बीपीएससी परीक्षा में धांधली हुई है और इसे दोबारा कराया जाना चाहिए।"
पीके ने इस मुद्दे को न केवल बिहार बल्कि देश भर में चर्चा का विषय बना दिया है। उनका कहना है कि यह केवल बीपीएससी परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि उन सभी परीक्षाओं का मामला है जिनमें पेपर लीक और गड़बड़ियां हुई हैं।
बीजेपी और नीतीश सरकार पर हमला
प्रशांत किशोर ने चिराग पासवान की टिप्पणी के बहाने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भी हमला किया। उन्होंने कहा, "अब जब चिराग पासवान, जो केंद्र सरकार के मंत्री हैं, यह मानते हैं कि बीपीएससी परीक्षा में धांधली हुई है, तो अब बीजेपी और नीतीश कुमार को इस पर जवाब देना चाहिए।"
किशोर ने आगे कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों के साथ कोई अन्याय न हो, और यह तब ही संभव होगा जब बीपीएससी का री-एग्जाम कराया जाएगा। "हमारी लड़ाई जारी रहेगी, और यह केवल बीपीएससी तक सीमित नहीं है। पहले भी पेपर लीक और गड़बड़ियों के मामले सामने आ चुके हैं और हमें इन सभी मामलों को उठाने की जरूरत है," उन्होंने कहा।
बीपीएससी परीक्षा का विवाद
बिहार में बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली के आरोपों ने राज्य में हलचल मचा दी है। कई परीक्षार्थियों ने दावा किया था कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई और उन्हें न्याय नहीं मिला। इसके बाद चिराग पासवान ने यह मुद्दा उठाया और बिहार सरकार से सुनिश्चित करने की मांग की कि कोई भी परीक्षार्थी अन्याय का शिकार न हो। उन्होंने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की और प्रशांत किशोर के साथ अपने रुख को साझा किया।
पुलिस द्वारा छात्रों पर हिंसा का मामला
इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर ने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "यह भी एक गंभीर सवाल है कि बिहार सरकार की पुलिस ने छात्रों के साथ सर्दी की रात में क्या व्यवहार किया। छात्रों पर पानी की बौछार की गई, और उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। यह पूरी घटना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार और उसके पुलिस बल के लिए शर्मनाक है।"
प्रशांत किशोर ने इस घटना की जांच की मांग करते हुए कहा कि छात्रों के साथ किए गए इस दुर्व्यवहार का जवाब राज्य सरकार को देना चाहिए। "हमारे बच्चों को ऐसी स्थिति में नहीं रखा जाना चाहिए," उन्होंने कहा।
चिराग पासवान की भूमिका पर प्रतिक्रिया
चिराग पासवान के बयान को प्रशांत किशोर ने एक सकारात्मक कदम माना है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह मुद्दा केवल राजनैतिक बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई की मांग करता है। "चिराग पासवान के बयान से यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर किसी राजनीतिक पार्टी को राजनीति नहीं करनीh चाहिए, बल्कि इसके समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।"
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर और चिराग पासवान दोनों के बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बिहार में बीपीएससी परीक्षा के विवाद को हल करना अब राजनीतिक बयानबाजी से परे एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जवाब की मांग की है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है और क्या छात्रों के हित में कोई ठोस कार्रवाई की जाती है या नहीं।
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