सहरसा: रमेश झा महिला महाविद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. उषा सिन्हा ने ‘विदेशों में हिंदी भाषा की मौजूदा स्थिति’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक भाषा के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है। उन्होंने बताया कि हिंदी को शिक्षा, शासन, प्रशासन की भाषा के रूप में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिल चुकी है।
डॉ. उषा सिन्हा ने मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में हिंदी की स्थिति पर अपनी सहभागिता की चर्चा करते हुए बताया कि इन देशों में न केवल भारतीय समुदाय, बल्कि स्थानीय लोग भी हिंदी के प्रति अपना लगाव व्यक्त करते हैं।
राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्षा डॉ. सिंधु सुमन ने इस अवसर पर हिंदी के प्रचार प्रसार में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। साथ ही हिंदी गानों के प्रभाव को भी उजागर किया। उन्होंने राज कपूर अभिनीत फिल्म ‘मेरा जूता है जापानी’ का उल्लेख करते हुए बताया कि ऐसे गानों ने हिंदी को विश्वभर में लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका अदा की।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. लाला प्रवीण कुमार सिन्हा ने कहा कि हिंदी केवल बोली नहीं जाती, बल्कि विश्व के कई देशों में इसे क्षेत्रीय भाषा का दर्जा भी मिल चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि विकसित देशों में हिंदी भाषियों की ताकत को पहचानते हुए राजनीतिक दल भारतीय समुदाय को लुभाने के लिए विभिन्न प्रयास करते हैं, जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के दौरान किया गया हाउडी मोदी कार्यक्रम।
डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप ने हिंदी को स्वाधीनता, एकता, अखंडता और सामासिक संस्कृति की भाषा बताया, साथ ही इसे मानवता, मूल्य और रचनात्मकता की वैश्विक भाषा भी करार दिया।
सर्व नारायण सिंह रामकुमार सिंह महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र प्रसाद यादव ने दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध को पूरी तरह राजनीतिक बताते हुए कहा कि अब वहां के लोगों में हिंदी के प्रति नफरत का भाव समाप्त हो चुका है।
संगोष्ठी के दौरान डॉ. आर्य सिंधु ने अपने गायन से समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप के जन्मदिन पर छात्र-छात्राओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।
संगोष्ठी के दौरान नेट में सफलता प्राप्त छात्रा अंशु कुमारी, ममता और मणिमाला को प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संयोजन डॉ. जैनेंद्र द्वारा किया गया और मंच का संचालन डॉ. अणिमा ने किया। इस संगोष्ठी में प्रोफेसर रंजीत कुमार, प्रोफेसर इम्तियाज अंजुम, डॉ. श्याम मोहन, डॉ. अनिल, डॉ. उदय कुमार, डॉ. प्रीति, सत्य प्रकाश झा, शिवजी कुमार और गोविंद सहित विभाग के अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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