सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन के दक्षिणी फाटक संख्या 16सी और उत्तरी फाटक संख्या 17सी के बीच रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के लिए गुरुवार को रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर अभियान चलाया। इस अभियान के तहत वर्षों से झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे भूमिहीन महादलित परिवारों और कुछ सक्षम लोगों द्वारा व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए किए गए अतिक्रमण को हटाया गया।
अतिक्रमण से स्टेशन विकास कार्यों में हो रही थी बाधा
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है, जिसमें करोड़ों रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण और विकास कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन स्टेशन के आसपास अवैध कब्जों के कारण इन कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही थी। रेलवे प्रशासन ने इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए सिमरी बख्तियारपुर प्रशासन से सहयोग की मांग की थी।
प्रशासनिक कार्रवाई में बुलडोजर का इस्तेमाल
अभियान के दौरान अंचलाधिकारी शुभम वर्मा और राजस्व अधिकारी खुशबू कुमारी को दंडाधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी निगरानी में रेलवे के अधिकारी और पुलिस बल ने झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का काम पूरा किया। अभियान के लिए पहले ही अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया गया था।
एक महीने पहले मिला था आदेश
पूर्व मध्य रेलवे के डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने करीब एक महीने पहले अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। इसके तहत स्टेशन चौक से उत्तर दिशा में अतिक्रमण हटाकर चारदीवारी का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। अब माल गोदाम रोड और दक्षिणी क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी है।
रेलवे प्रशासन का स्पष्ट संदेश
रेलवे प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यह अभियान स्टेशन के विकास कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करने और रेलवे की जमीन को अतिक्रमण मुक्त बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस अभियान के दौरान स्थानीय प्रशासन का पूर्ण सहयोग मिला और अतिक्रमण हटाने का कार्य शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
अवैध झुग्गियों के हटाए जाने पर स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने इस कदम का स्वागत किया, जबकि प्रभावित परिवारों ने अपनी समस्याओं और पुनर्वास की मांग को लेकर चिंता व्यक्त की।
रेलवे प्रशासन ने जोर देकर कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और विकास परियोजनाओं के लिए यह कार्रवाई अनिवार्य थी।
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