बेतिया: बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) के घने जंगलों में भीषण आग लगने की घटना सामने आई है। आग इतनी तेजी से फैली कि पूरे जंगल में अफरा-तफरी मच गई। जंगल में रहने वाले वन्यजीव जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। वन विभाग की टीम आग बुझाने के लिए युद्धस्तर पर जुटी हुई है।
असामाजिक तत्वों की शरारत का शक
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि आग असामाजिक तत्वों की शरारत का नतीजा हो सकती है। ठंड के मौसम में बसंत पंचमी के मौके पर जंगल में इस साल पहली बार आग लगी है। वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे जंगल में आग लगाने जैसी घटनाओं से बचें, क्योंकि इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है और जीव-जंतुओं का जीवन संकट में आ जाता है।
मदनपुर वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट 9 में लगी आग
सूत्रों के मुताबिक, आग लगने की यह घटना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के मदनपुर वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट संख्या 9 में हुई है। आग लगने के कारण जंगल में घना धुआं फैल गया, जिससे वन्यजीवों में दहशत का माहौल बन गया। स्थानीय वन विभाग को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, दमकल की गाड़ियों के साथ वन कर्मी मौके पर पहुंच गए और आग पर काबू पाने का प्रयास करने लगे।
वन्यजीवों के जीवन पर संकट
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है, जहां बाघ, तेंदुआ, हिरण, हाथी, नीलगाय, भालू और कई अन्य दुर्लभ जीव-जंतु पाए जाते हैं। आग के कारण कई जीव-जंतुओं को अपने प्राकृतिक आवास से भागने को मजबूर होना पड़ा। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आग पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया, तो इससे वन्यजीवों के जीवन और पर्यावरण को भारी नुकसान हो सकता है।
वन विभाग की अपील
इस घटना के बाद वन विभाग ने स्थानीय लोगों से जंगल में आग न लगाने की अपील की है। अधिकारियों ने कहा कि अक्सर जंगल में शिकारियों या असामाजिक तत्वों द्वारा आग लगा दी जाती है, जिससे प्राकृतिक संपदा और वन्यजीवों को भारी नुकसान होता है।
आग लगने की वजहों की जांच जारी
वन विभाग के अधिकारी आग लगने की सटीक वजहों की जांच कर रहे हैं। हालांकि, अब तक की जांच में यही सामने आया है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने जानबूझकर इस आग को फैलाया। वन अधिकारियों ने कहा है कि अगर इसमें किसी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नुकसान का आकलन जारी
फिलहाल, वन विभाग और दमकल कर्मियों की टीम मिलकर आग पर काबू पाने की कोशिश कर रही है। वन अधिकारियों ने बताया कि अभी तक आग से हुए नुकसान का आकलन नहीं किया जा सका है, लेकिन यह तय है कि इससे जैव विविधता को गहरा आघात पहुंचा है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में इस तरह की आग लगने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। आमतौर पर गर्मियों के मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा होती हैं, लेकिन इस बार ठंड के मौसम में ही आग लगने से चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी और सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
निष्कर्ष
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का महत्वपूर्ण वन क्षेत्र है, जहां बाघों समेत कई दुर्लभ प्रजातियों के जीव-जंतु निवास करते हैं। आग लगने की इस घटना ने जंगल और वन्यजीवों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर इस तरह की घटनाओं पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। वन विभाग ने जनता से सहयोग करने और जंगल की सुरक्षा में मदद करने की अपील की है।
क्या आपको लगता है कि जंगलों की सुरक्षा के लिए सरकार को और कड़े कदम उठाने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में दें!
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