बिहार में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करने वाला एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मोतिहारी जिले में एक सरकारी शिक्षक द्वारा स्कूल छोड़कर 50 किलोमीटर दूर अपनी पत्नी की जगह ड्यूटी करने का वीडियो वायरल हुआ है। इस घटना ने शिक्षा विभाग और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पत्नी की जगह कर रहा था ड्यूटी, स्कूल में दर्ज कराता रहा हाजिरी
जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो में दिख रहे शिक्षक का नाम सत्येंद्र राम है, जो मोतिहारी जिले के केसरिया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय हुसैनी में कार्यरत हैं। लेकिन शिक्षक की जिम्मेदारी निभाने के बजाय वह पताही प्रखंड के जुल्फेकाराबाद पंचायत में आवास योजना के सर्वेक्षण का कार्य कर रहे थे।
दरअसल, इस पंचायत में उनकी पत्नी रीता देवी आवास सहायक के रूप में कार्यरत हैं। वर्तमान में सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर-घर सर्वेक्षण का कार्य जोरों पर चल रहा है। सत्येंद्र राम ने अपनी पत्नी की जगह पर ड्यूटी करना शुरू कर दिया और लगातार सर्वेक्षण के कार्य में लगे रहे, जबकि उनकी अपनी उपस्थिति विद्यालय में दर्ज की जा रही थी।
ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर किया वायरल
यह पूरा मामला तब सामने आया जब गांव के कुछ युवकों ने सत्येंद्र राम को सर्वेक्षण करते हुए देख लिया। उन्हें इस बात पर शक हुआ कि एक सरकारी शिक्षक, जो स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाता है, वह यहां सर्वेक्षण का कार्य क्यों कर रहा है? इसी दौरान ग्रामीणों ने उनका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
वीडियो सामने आते ही शिक्षा विभाग और प्रशासन में हड़कंप मच गया। सवाल उठने लगे कि आखिर एक सरकारी शिक्षक स्कूल की जिम्मेदारी छोड़कर पत्नी की नौकरी क्यों कर रहा था और यह पूरी कार्यप्रणाली किसकी मिलीभगत से चल रही थी?
बीईओ ने दिया चौंकाने वाला बयान, शिक्षक अवकाश पर!
जब इस मामले में पत्रकारों ने केसरिया प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) विनय तिवारी से सवाल किया तो उनका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि शिक्षक से स्पष्टीकरण मांगा गया है, लेकिन वह अवकाश पर है।
अब सवाल यह उठता है कि यदि शिक्षक अवकाश पर था, तो क्या वह अपनी पत्नी की जगह ड्यूटी कर सकता है?
- शिक्षक को अवकाश किस कार्य के लिए दिया गया था?
- क्या उसकी गतिविधियों की कोई जांच की गई थी?
- क्या यह प्रशासन की लापरवाही नहीं दर्शाती है?
- क्या अधिकारी जानबूझकर शिक्षक को बचाने की कोशिश कर रहे हैं?
बीईओ के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने शिक्षा विभाग की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए हैं।
शिक्षा विभाग और प्रशासन पर उठे सवाल
यह मामला बिहार में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। जहां एक ओर शिक्षक अपने मूल कर्तव्य को छोड़कर अवैध रूप से दूसरे कार्यों में संलिप्त हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी उनकी जिम्मेदारियों की जांच तक नहीं कर रहे।
ग्रामीणों और सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों ने शिक्षक सत्येंद्र राम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि यह न केवल शिक्षा के स्तर को गिराने वाली घटना है, बल्कि सरकारी सेवाओं में चल रहे भ्रष्टाचार का भी एक बड़ा उदाहरण है।
सरकार और शिक्षा विभाग को देनी होगी सफाई
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार और शिक्षा विभाग इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करेगा, या फिर इसे भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाएगा। बिहार की शिक्षा व्यवस्था पहले ही कई सवालों के घेरे में रही है, और इस तरह की घटनाएं राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर और भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
अब सवाल यह है कि क्या बिहार सरकार ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करेगी, या फिर शिक्षक सत्येंद्र राम और अधिकारियों की मिलीभगत से यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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