बिहार के जमुई जिले में स्थित सदर अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सामने स्थित टॉयलेट के गटर में एक नवजात बच्ची का शव मिला, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है।
गटर में फंसा नवजात बच्ची का शव, अस्पताल प्रबंधन बेखबर
बुधवार को अस्पताल इलाज कराने आए एक व्यक्ति ने इमरजेंसी वार्ड के पास स्थित टॉयलेट में एक नवजात बच्ची के शव को गटर में फंसा हुआ देखा। उसने तुरंत इसकी सूचना अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों को दी, जिसके बाद वहां भीड़ इकट्ठा हो गई।
हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और शव को निकालने में लापरवाही बरती। अस्पताल के स्वीपर को शव निकालने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन शव निकालने में तीन घंटे से अधिक समय लग गया।
बच्ची का सिर धड़ से अलग, शव को कूड़ेदान में फेंका
जब काफी मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला गया, तो बच्ची का सिर धड़ से अलग हो गया, जिससे वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। शव को निकालने के लिए लोहे की खंती से टॉयलेट को तोड़ा गया, लेकिन बच्ची के शव के साथ की गई अमानवीयता यहीं नहीं रुकी।
शव को निकालने के बाद बच्ची के सिर और धड़ को कूड़ेदान में फेंक दिया गया, जिसे देखकर मौके पर मौजूद लोग आक्रोशित हो गए। उन्होंने अस्पताल प्रशासन की इस अमानवीयता की कड़ी निंदा की और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
अस्पताल प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है। वहां मौजूद लोगों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता की कड़ी आलोचना की। एक तरफ जहां डॉक्टरों की जिम्मेदारी होती है कि वे हर मरीज को जीवनदान दें, वहीं दूसरी ओर नवजात बच्ची के शव के साथ इस तरह का व्यवहार बेहद शर्मनाक है।
अस्पताल प्रबंधन ने बनाई जांच कमेटी, पुलिस कर रही जांच
घटना की सूचना मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधक रमेश पांडेय ने टाउन थाना पुलिस को मामले की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच कमेटी का गठन किया है, जो यह पता लगाएगी कि यह नवजात बच्ची आखिर कहां से आई थी और किसने उसे इस अमानवीय तरीके से फेंका।
रात में हुई सभी डिलीवरी की हो रही जांच, सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि रात में जितनी भी डिलीवरी हुई हैं, उनकी गहन जांच की जा रही है। इसके अलावा अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस बच्ची को किसने टॉयलेट में फेंका।
अस्पताल प्रबंधक रमेश पांडेय ने कहा,
"यह बेहद दर्दनाक और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"
अस्पताल में फैला आक्रोश, लोगों ने की कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना कई सवाल खड़े करती है:
- नवजात बच्ची को टॉयलेट में फेंकने वाला कौन था?
- अस्पताल प्रशासन को इतनी बड़ी घटना की जानकारी क्यों नहीं मिली?
- शव को निकालने में तीन घंटे क्यों लगे?
- बच्ची के शव को कूड़ेदान में फेंकने की अनुमति किसने दी?
सरकार और प्रशासन को देने होंगे जवाब
यह घटना बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। सरकार और प्रशासन को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी होगी और दोषियों को सजा दिलानी होगी।
अब देखना होगा कि क्या यह मामला सिर्फ जांच और बयानबाजी तक सीमित रहेगा, या फिर सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
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